केन्द्रीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच जारी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. जहां मंगलवार वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में बैंक एनपीए का ठीकरा आरबीआई से सिर फोड़ा है, वहीं अब केन्द्रीय रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल के पास मौजूद विकल्पों में इस्तीफा देना भी शामिल है. एक प्रमुख बिजनेस चैनल के मुताबिक मौजूदा परिस्थिति में उर्जित पटेल के इस्तीफा की संभावना बनी हुई है.
केन्द्र सरकार और आरबीआई में सूत्रों के आधार पर रिपोर्ट ने दावा किया है कि आरबीआई और केन्द्र सरकार के बीच अहम अंतर पैदा हो चुके हैं. इस अंतर को अब भरा नहीं जा सकता है. ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक के आला अधिकारियों का दावा है कि केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता को ध्यान में रखते हुए उसके सामने सभी विकल्प खुले हुए हैं.
गौरतलब है कि केन्द्रीय बैंक और केन्द्र सरकार के रिश्तों में आई खटास को बीते हफ्ते आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जगजाहिर किया. आचार्य ने कहा कि केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता पर हमला देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
'आजादी' मांग रहे RBI को जेटली ने दिखाया आईना, अंधाधुंध लोन बांटने पर उठाए सवाल
विरल के इस बयान के तुरंत बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में बैंकों के सामने खड़ी एनपीए की समस्या के लिए केन्द्रीय बैंक को जिम्मेदार ठहराया. जेटली ने दावा किया कि 2008 से 2014 के बीच देश के बैंकों ने बड़े स्तर पर कर्ज देने का काम किया. वहीं जेटली ने आरोप लगाया कि इस दौरान रिजर्व बैंक ने अपनी भूमिका से उलट इतने बड़े स्तर पर दिए जा रहे कर्ज की प्रक्रिया की अनदेखी की.
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'वित्त मंत्री को यह बताना चाहिए कि जब उनकी सरकार बनी तो देश में एनपीए 3 लाख करोड़ थी, आज 12 लाख करोड़ है. सरकार को बताना चाहिए कि 2014 के बाद 9 लाख करोड़ की बढ़ोतरी कैसे हुई. यह जिम्मेदारी किसकी है. यह सरकार मॉनिटरी पॉलिसी अपने कब्जे में लेना चाहती है. पेमेंट रेगुलेटर रिजर्व बैंक है. वित्त मंत्रालय उसे अपने कब्जे में नहीं ले सकता. वह ऐसी कोई संस्था नहीं बना सकता जो भारत देश का पेमेंट रेगुलेटर बने. सरकार नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कॉरपोरेशंस के लिए अलग से खिड़की खोलना चाहती है ताकि उन्हें पैसे दिए जा सकें.'
शर्मा ने कहा, ऐसे लोग जो बैंकिंग के बारे में ज्ञान नहीं रखते उन्हें रिजर्व बैंक का डायरेक्टर बना दिया गया. इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के नाम पर, नॉन ऑफिशियल डायरेक्टर के नाम पर जो रिजर्व बैंक की सब कमेटी में बैठकर फैसलों का प्रभावित करते हैं. इसीलिए रिजर्व बैंक के लोगों को चिंता है कि इस संस्था को कमजोर नहीं किया जाए.
शिवराज सिंह और रमन सिंह के बारे में भी कांग्रेस नेता ने बड़ा हमला किया. उन्होंने कहा कि तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. रमन सिंह के पुत्र का नाम पनामा पेपर में आया है. शिवराज सिंह भी कोई दूध के धुले नहीं हैं. उनका चादर दागदार है. रमन सिंह, शिवराज सिंह में गड़बड़ी हो गई लेकिन ये कोई बड़ी बात नहीं है. जिस देश का प्रधानमंत्री हमेशा कंफ्यूज रहता हो. उन्होंने गोरखनाथ, नानक देव और संत कबीर को एक साथ बिठा दिया. बीजेपी को पहले अपने प्रधानमंत्री को समझाना चाहिए. राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं हैं.
मालेगांव ब्लास्ट मामले में उन्होंने कहा कि भगवा शब्द बीजेपी की बपौती नहीं है. ये उन लोगों की वारिस हैं जिन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया और स्वतंत्रता संग्राम के विरोध किया. भारत कई सालों से आतंकवाद का शिकार रहा है. उनकी पुरजोर निंदा होनी चाहिए और उसे हराना चाहिए. घटनाओं का जो भी दोषी हो उसे सजा मिलनी चाहिए लेकिन उसे किसी धर्म, रंग आदि से नहीं जोड़ना चाहिए.
सरदार पटेल की मूर्ति के बारे में शर्मा ने कहा कि उनके पास अपने नेता तो हैं नहीं. पटेल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. प्रधानमंत्री जी चीन की मदद से मूर्ति तो लगा रहे हैं लेकिन साथ में मूर्ति के नीचे पटेल का गोलवलकर के साथ हुए पत्राचार को भी छपवा दें.
केन्द्र सरकार और आरबीआई में सूत्रों के आधार पर रिपोर्ट ने दावा किया है कि आरबीआई और केन्द्र सरकार के बीच अहम अंतर पैदा हो चुके हैं. इस अंतर को अब भरा नहीं जा सकता है. ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक के आला अधिकारियों का दावा है कि केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता को ध्यान में रखते हुए उसके सामने सभी विकल्प खुले हुए हैं.
गौरतलब है कि केन्द्रीय बैंक और केन्द्र सरकार के रिश्तों में आई खटास को बीते हफ्ते आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने जगजाहिर किया. आचार्य ने कहा कि केन्द्रीय बैंक की स्वायत्तता पर हमला देश के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है.
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विरल के इस बयान के तुरंत बाद केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में बैंकों के सामने खड़ी एनपीए की समस्या के लिए केन्द्रीय बैंक को जिम्मेदार ठहराया. जेटली ने दावा किया कि 2008 से 2014 के बीच देश के बैंकों ने बड़े स्तर पर कर्ज देने का काम किया. वहीं जेटली ने आरोप लगाया कि इस दौरान रिजर्व बैंक ने अपनी भूमिका से उलट इतने बड़े स्तर पर दिए जा रहे कर्ज की प्रक्रिया की अनदेखी की.
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'वित्त मंत्री को यह बताना चाहिए कि जब उनकी सरकार बनी तो देश में एनपीए 3 लाख करोड़ थी, आज 12 लाख करोड़ है. सरकार को बताना चाहिए कि 2014 के बाद 9 लाख करोड़ की बढ़ोतरी कैसे हुई. यह जिम्मेदारी किसकी है. यह सरकार मॉनिटरी पॉलिसी अपने कब्जे में लेना चाहती है. पेमेंट रेगुलेटर रिजर्व बैंक है. वित्त मंत्रालय उसे अपने कब्जे में नहीं ले सकता. वह ऐसी कोई संस्था नहीं बना सकता जो भारत देश का पेमेंट रेगुलेटर बने. सरकार नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कॉरपोरेशंस के लिए अलग से खिड़की खोलना चाहती है ताकि उन्हें पैसे दिए जा सकें.'
शर्मा ने कहा, ऐसे लोग जो बैंकिंग के बारे में ज्ञान नहीं रखते उन्हें रिजर्व बैंक का डायरेक्टर बना दिया गया. इंडिपेंडेंट डायरेक्टर के नाम पर, नॉन ऑफिशियल डायरेक्टर के नाम पर जो रिजर्व बैंक की सब कमेटी में बैठकर फैसलों का प्रभावित करते हैं. इसीलिए रिजर्व बैंक के लोगों को चिंता है कि इस संस्था को कमजोर नहीं किया जाए.
शिवराज सिंह और रमन सिंह के बारे में भी कांग्रेस नेता ने बड़ा हमला किया. उन्होंने कहा कि तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. रमन सिंह के पुत्र का नाम पनामा पेपर में आया है. शिवराज सिंह भी कोई दूध के धुले नहीं हैं. उनका चादर दागदार है. रमन सिंह, शिवराज सिंह में गड़बड़ी हो गई लेकिन ये कोई बड़ी बात नहीं है. जिस देश का प्रधानमंत्री हमेशा कंफ्यूज रहता हो. उन्होंने गोरखनाथ, नानक देव और संत कबीर को एक साथ बिठा दिया. बीजेपी को पहले अपने प्रधानमंत्री को समझाना चाहिए. राहुल गांधी प्रधानमंत्री नहीं हैं.
मालेगांव ब्लास्ट मामले में उन्होंने कहा कि भगवा शब्द बीजेपी की बपौती नहीं है. ये उन लोगों की वारिस हैं जिन्होंने अंग्रेजों का साथ दिया और स्वतंत्रता संग्राम के विरोध किया. भारत कई सालों से आतंकवाद का शिकार रहा है. उनकी पुरजोर निंदा होनी चाहिए और उसे हराना चाहिए. घटनाओं का जो भी दोषी हो उसे सजा मिलनी चाहिए लेकिन उसे किसी धर्म, रंग आदि से नहीं जोड़ना चाहिए.
सरदार पटेल की मूर्ति के बारे में शर्मा ने कहा कि उनके पास अपने नेता तो हैं नहीं. पटेल कांग्रेस के अध्यक्ष थे. प्रधानमंत्री जी चीन की मदद से मूर्ति तो लगा रहे हैं लेकिन साथ में मूर्ति के नीचे पटेल का गोलवलकर के साथ हुए पत्राचार को भी छपवा दें.
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