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Showing posts from January, 2019

आजम ने कहा- प्रणब को संघ की दावत कुबूलने का इनाम मिला; ओवैसी ने भी सवाल उठाए

सपा नेता आजम खान ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिए जाने पर सवाल उठाए हैं। आजम ने कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं है। प्रणब ने संघ की दावत कुबूल की थी और एक कार्यक्रम में उनके हेड क्वार्टर गए थे, यह (भारत रत्न) उसी का इनाम है। उधर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा- भारत रत्न जितने लोगों को दिया गया, उनमें से कितने दलितों, आदिवासियों, मुसलमानों, गरीबों, सामान्य वर्ग और ब्राह्मणों को दिए गए? केंद्र सरकार ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक नानाजी देशमुख और गायक भूपेन हजारिका को भारत रत्न देने का ऐलान किया था। नानाजी देशमुख और भूपेन हजारिका को मरणोपरांत यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलेगा। डॉ. मुखर्जी को भारत रत्न क्यों मिला उन्हें खुद समझ में नहीं आया- आजम आजम खान ने कहा, "डॉ. मुखर्जी को जब भारत रत्न दिए जाने की सूचना मिली थी तो उन्होंने कहा था- मैं नहीं जानता कि क्या मैं इसके लायक हूं। शायद उन्हें भी समझ नहीं आया की भाजपा सरकार ने उन्हें भारत रत्न क्यों दिया।' खान ने भाजपा के प. बंगाल में

कॉन्स्टेबल ने स्तनपान करवाकर बचाई लावारिस बच्ची की जान

बेंगलुरु में एक महिला पुलिस कॉन्स्टेबल ने लावारिस छोड़ दी गई एक बच्ची को स्तनपान करवाकर उसकी जान बचाई है. कॉन्स्टेबल ने ऐसा तब किया जब वह अपनी ड्यूटी के सिलसिले में अस्पताल आई थीं. बुधवार सुबह पुलिस स्टेशन ने संगीता हलीमणि को यह ज़िम्मेदारी सौंपी थी कि वो उत्तर बेंगलुरु के येलाहंका स्थित सरकारी अस्पताल जाकर वहां भर्ती की जा रही लावारिस बच्ची के बारे में जानकारी जुटाए. संगीता ने बीबीसी हिंदी को बताया, "जब मैं वहां पहुंची तो देखा कि वे उसे ग्लूकोज़ ड्रिप चढ़ा रहे थे. घर पर मेरा 10 महीने का बच्चा है. ऐसे में मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं इसे दूध पिला सकती हूं. डॉक्टरों ने इसकी इजाज़त दे दी." यह बच्ची सुबह-सुबह सैर पर निकले एक शख़्स को कृषि विश्वविद्यालय के परिसर में लावारिस हालत में मिली थी. 25 साल की महिला पुलिस कॉन्स्टेबल ने बताया, "वह धूल और गंदगी से सनी हुई थी. चींटियों ने भी बच्ची को काट लिया था." बच्ची को स्तनपान करवाने के बाद उसे शहर के रेफ़रल सरकारी अस्पताल 'वाणी विलास अस्पताल' में शिफ्ट कर दिया क्योंकि उसे इन्फ़ेक्शन होने का ख़तरा था. येला

आपको पता है आपकी और बॉस की सैलरी में कितना अंतर है?

नया साल शुरू हो चुका है. आपने अपने पिछले साल की बचत को देख लिया होगा. अब अगले 12 महीनों में आपको अपने वेतन के बढ़ने की उम्मीद भी होगी. अगर आप ब्रिटेन में रह रहे हों तो, ये जानकर आप अचरज में पड़ जाएंगे कि अगले 12 महीने में जो भी आपकी कुल आमदनी होगी, उससे कहीं ज़्यादा पैसा आपके बॉस ने साल के पहले चार दिनों में कमा लिया है. अगर आप भारत में रह रहे हैं तो आपको यहां की हक़ीक़त जानकर शायद ही यक़ीन होगा. उसकी बात करेंगे लेकिन पहले बात ब्रिटिश कंपनियों के अधिकारियों की. ब्रिटेन की बड़ी कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चार जनवरी को उतना पैसा पाते हैं, जितना उनकी कंपनी में काम कर रहे औसत कर्मचारी का सालाना वेतन होता है. चार जनवरी को ब्रिटिश कॉरपोरेट दुनिया में इस दिन का जश्न मनाया जाता है. लेकिन यह केवल ब्रिटिश मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) का सच नहीं है, दुनिया भर के सीईओ, अपने कर्मचारियों की तुलना में कई गुना ज़्यादा पैसा कमाते हैं. सैलेरी में ज़मीन आसमान का फ़र्क फ़ाइनेंशियल मीडिया कंपनी ब्लूमबर्ग ने दुनिया के 22 देशों की प्रमुख कंपनियों के सीईओ और उनके कर्मचारियों के बी

नज़रियाः अगर लोकसभा चुनाव मोदी बनाम राहुल न हुए तो

नये साल के पहले दिन एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम मंदिर के सवाल पर संकेत दिया कि उनकी सरकार इस मुद्दे पर दबाव में है. प्रधानमंत्री से सवाल था कि राम मंदिर क्यों एक भावनात्मक मुद्दा बनकर रह गया है. कुछ होता क्यों नहीं. उन्होंने जवाब की शुरुआत इस बात से की कि तीन तलाक़ पर अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद आया. इसे इस बात का संकेत मानने में कोई हर्ज नहीं है कि राम मंदिर पर अध्यादेश लाने के लिए सरकार तैयार है. यहां तक तो कोई समस्या नहीं है. समस्या आगे आ सकती है. यदि चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट बेंच गठित करके रोज़ सुनाई के लिए तैयार हो जाता है तो सरकार का काम आसान हो जाएगा. पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई टाल देता है या सुनवाई पूरी करके फ़ैसला सुरक्षित रख लेता है तो सरकार और भाजपा सहित पूरे संघ परिवार के लिए भारी संकट पैदा हो जाएगा. प्रधानमंत्री से सवाल था कि राम मंदिर क्यों एक भावनात्मक मुद्दा बनकर रह गया है. कुछ होता क्यों नहीं. उन्होंने जवाब की शुरुआत इस बात से की कि तीन तलाक़ पर अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद आया. इसे इस बा