दलित नेता और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को राहुल गांधी समेत विपक्ष के दूसरे नेताओं के श्रीनगर जाने पर ट्वीट करके ऐतराज़ जताया है.
मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एवं अन्य नेताओं का बिना अनुमति के कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा क़दम नहीं है?
उन्होंने ये भी कहा है कि वहाँ पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता.
जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद विपक्ष बंटा हुआ दिखाई दे रहा है.
कांग्रेस केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है.
इसके साथ ही जेडीयू, डीएमके, टीएमसी, राजद, वाम दल और एनसीपी जैसी पार्टियों ने भी इस विषय पर सरकार का विरोध किया है.
लेकिन मायावती ने तमाम विपक्षी दलों को चौंकाते हुए केंद्र सरकार के इस क़दम का समर्थन किया है.
मायावती ने आज एक बार फिर ट्वीट करके कहा है, "जैसा कि विदित है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे. इसी ख़ास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया."
"लेकिन देश में संविधान लागू होने के लगभग 69 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद अब वहाँ पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा. इसका थोड़ा इंतज़ार किया जाए तो बेहतर है, जिसको माननीय कोर्ट ने भी माना है."
मायावती के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा शुरू होती दिख रही है. ट्विटर यूज़र प्रशांत कनौजिया ने मायावती के इस ट्वीट पर सवाल उठाया है.
अनुच्छेद-370 पर अंबेडकर के रुख को लेकर बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर विवाद जारी है.
क्योंकि कुछ दलित चिंतकों का मानना है कि अंबेडकर ने कभी-370 को लेकर इस तरह का बयान नहीं दिया.
कुछ दिनों पहले द हिंदू अख़बार में उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडू का लेख प्रकाशित होने के बाद ये विवाद शुरू हुआ है.
इस लेख में उप-राष्ट्रपति नायडू ने बी. आर. अंबेडकर के एक कथित बयान का ज़िक्र किया है जिसमें वह अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए नज़र आ रहे हैं.
लेकिन इस लेख के प्रकाशन के बाद इसे ग़लत साबित करने की कोशिशें की गई हैं.
द वायर में छपे लेख में बताया गया है कि दरअसल ये बयान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पत्रिका ऑर्गनाइज़र से लिया गया था और इस बयान के स्रोत जम्मू से आने वाले बलराज मधोक थे.
मायावती ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एवं अन्य नेताओं का बिना अनुमति के कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहां के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा क़दम नहीं है?
उन्होंने ये भी कहा है कि वहाँ पर जाने से पहले इस पर भी थोड़ा विचार कर लिया जाता, तो यह उचित होता.
जम्मू-कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के बाद विपक्ष बंटा हुआ दिखाई दे रहा है.
कांग्रेस केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है.
इसके साथ ही जेडीयू, डीएमके, टीएमसी, राजद, वाम दल और एनसीपी जैसी पार्टियों ने भी इस विषय पर सरकार का विरोध किया है.
लेकिन मायावती ने तमाम विपक्षी दलों को चौंकाते हुए केंद्र सरकार के इस क़दम का समर्थन किया है.
मायावती ने आज एक बार फिर ट्वीट करके कहा है, "जैसा कि विदित है कि बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता के पक्षधर रहे हैं इसलिए वे जम्मू-कश्मीर राज्य में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे. इसी ख़ास वजह से बीएसपी ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया."
"लेकिन देश में संविधान लागू होने के लगभग 69 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद अब वहाँ पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय अवश्य ही लगेगा. इसका थोड़ा इंतज़ार किया जाए तो बेहतर है, जिसको माननीय कोर्ट ने भी माना है."
मायावती के इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर एक नई चर्चा शुरू होती दिख रही है. ट्विटर यूज़र प्रशांत कनौजिया ने मायावती के इस ट्वीट पर सवाल उठाया है.
अनुच्छेद-370 पर अंबेडकर के रुख को लेकर बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर विवाद जारी है.
क्योंकि कुछ दलित चिंतकों का मानना है कि अंबेडकर ने कभी-370 को लेकर इस तरह का बयान नहीं दिया.
कुछ दिनों पहले द हिंदू अख़बार में उप-राष्ट्रपति वैंकेया नायडू का लेख प्रकाशित होने के बाद ये विवाद शुरू हुआ है.
इस लेख में उप-राष्ट्रपति नायडू ने बी. आर. अंबेडकर के एक कथित बयान का ज़िक्र किया है जिसमें वह अनुच्छेद 370 का विरोध करते हुए नज़र आ रहे हैं.
लेकिन इस लेख के प्रकाशन के बाद इसे ग़लत साबित करने की कोशिशें की गई हैं.
द वायर में छपे लेख में बताया गया है कि दरअसल ये बयान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की पत्रिका ऑर्गनाइज़र से लिया गया था और इस बयान के स्रोत जम्मू से आने वाले बलराज मधोक थे.
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